***Beti Shayri***
छुपा
सकता तो छुपा भी लेता मैं तेरे दिए दर्द को
पर
मेरे बस में नहीं है मेरे आंसूओं को रोक पाना।
और
जानता हूँ मैं कसूर तेरा नहीं सिर्फ मेरा था,
मैं
पागल ही चल बैठा था एक चाँद को अपना बनाना।
सोचा
था भुला दूंगा तुझे आने वाले कुछ सालों में पर,
मुश्किल
हो रहा है तेरी पहली झलक ही मिटा पाना।
मैं
कहता हूँ बदल गया,
पर शायद नही क्योंकि,
आदत
आज भी है मेरी तुझे याद करते करते सो जाना।
अब
पलकों पर भी उदासी के बादल हैं मेरी,
गर
हुआ तेरा दीदार कभी फिर देखना इनका मुस्कुराना।
निगाहें
ढूंढती हैं तुझे हर जगह इधर-उधर
हो
सके तो मेरी ज़िंदगी में तुम फिर आना।
छुपा
सकता तो छुपा भी लेता मैं तेरे दिए दर्द को
पर
मेरे बस में नहीं है मेरे आंसूओं को रोक पाना।
Written
by D.Kumar
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