***Beti Shayri***
खूबसूरत ज़िन्दगी का सफर लगता है
बेटी है तो घर, घर लगता है।
ये दीवारें भी अब तो नही रूठती है,
छत जो गिरती थी, अब कहाँ टूटती है,
ये बिटिया के आने का ही, असर लगता है,
बेटी है तो घर, घर लगता है।
उसकी चुप्पी से हर कोई बिखर जाता है,
जो मुस्कुरा दे तो हर चेहरा खिल जाता है,
हर सूरत की वो ही मुस्कान लगता है,
बेटी है तो घर, घर लगता है।
मैं रोज़ जिसे पड़ता हूँ वही खत है वो,
मेरा सोना-चाँदी, मेरी दौलत है वो,
मेरी पूँजी,
मेरी जागीर लगता है,
बेटी है तो घर, घर लगता है।
कभी खांसी कभी जुखाम लग जाता है,
अस्वस्थ वो होती है, दुख मेरा बढ़ जाता है,
उसको ऐसे देख,
मन फिर कहां लगता है,
बेटी है तो घर, घर लगता है।
संग उसके ही तो खुशियों के मेले होते हैं,
कहीं और जो जाऊँ तो बहुत झमेले होते हैं,
उसके बगैर सच,
हर शहर वीरान लगता है,
बेटी है तो घर, घर लगता है।
उसकी खुशबू से हर कोना महक जाता है,
धर्मेंद्र,
अब सपने सारे उसी के सजाता है,
वो पास न हो तो हर लम्हा बेकार लगता है,
बेटी है तो घर, घर लगता है।
खूबसूरत ज़िन्दगी का सफर लगता है
बेटी है तो घर, घर लगता है।
Written by
D.Kumar
Love you
always my life ummmaaaa
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