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मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो


***Beti Shayri***

दिल की साफ, निर्मल जल जैसी हो-2
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो


 जिधर से भी गुजरे रास्ता खुद बन जाये-
पहाड़ों से निकलती उस लहर जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो।


परवाह न हो उसे किसी की बस लक्ष्य अपना याद रहे-
कमान से निकली उस तीर जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो।

लोगों की हर बात का जवाब हो उसके पास-2
कभी लगता है मुझे वो बीरबल जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो।


लिखने का हुनर मुझसे भी अच्छा हो उसमे-2
शायद वो एक कलम जैसी हो,
मैं  चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो। 


किसी का दिल दुखाना उसकी किताब में ही न हो-2
काश भगवान कृष्ण की वो राधा जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो।


लोंगो के अंधेरे जीवन में वो रोशनी का दिया बने-2
कभी सोचता हूँ वो अमावस में चाँद जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो।


मेरी ख्वाहिश कि मैं सदा याद रहूँ उसको-2
तीर्थ कराने वाले श्रवण कुमार जैसी हो
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो। 


दिल की साफ, निर्मल जल जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो

Written by #D_Kumar

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