दिल की साफ, निर्मल जल जैसी हो-2
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो,
पहाड़ों से निकलती उस
लहर जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो।
परवाह न हो उसे किसी
की बस लक्ष्य अपना याद रहे-2
कमान से निकली उस
तीर जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो।
लोगों की हर बात का
जवाब हो उसके पास-2
कभी लगता है मुझे वो
बीरबल जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो।
लिखने का हुनर मुझसे
भी अच्छा हो उसमे-2
शायद वो एक कलम जैसी
हो,
मैं चाहता हूँ मेरी बेटी ऐसी हो।
किसी का दिल दुखाना
उसकी किताब में ही न हो-2
काश भगवान कृष्ण की
वो राधा जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो।
लोंगो के अंधेरे जीवन में वो रोशनी का दिया बने-2
कभी सोचता हूँ वो
अमावस में चाँद जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो।
मेरी ख्वाहिश कि मैं
सदा याद रहूँ उसको-2
तीर्थ कराने वाले
श्रवण कुमार जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो।
दिल की साफ, निर्मल जल जैसी हो,
मैं चाहता हूँ मेरी
बेटी ऐसी हो,
Written by #D_Kumar
4 टिप्पणियाँ
Beautiful lines ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी ।
जवाब देंहटाएंVery true.... I can't express my word that how much you love your daughter...
जवाब देंहटाएंSuperb bro
Thanks brother.
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