बिटिया मुझको पापा पापा कहती है।
Beti Shayari | बेटी पर शायरी | poem On Daughter |बेटी पर कविता
चिड़ियों की वो मधुर आवाज़
भी तब फीकी पड़ने लगती है,
सुबह-सुबह
जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती है।
उठाकर उसको अपनी गोदी में तब, सीने से मैं लगा लेता हूं,
इस
थोड़े से पल में दोस्तों, सारे
जहाँ की खुशियाँ पा लेता हूं।
सुबह-सुबह
जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती है।
फिर मेरी आँखों में आँखे डाल वो, पापा, गान - गाना कहती है।
सॉन्ग प्ले करता हूं तब वो, छम-छम करने लगती है।
सुबह-सुबह जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती
है।
सभी देख उसके नृत्य को तब, फूले नहीं समाते हैं,
टीवी से सबका ध्यान हटा वो अपने ऊपर कर
लेती है।
सुबह-सुबह जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती
है।
नहा-धोकर, आँखों में
काजल और बालो में क्लिप जब लगा लेती है
दादु का अपने हाथ पकड़ फिर बाहर-बाहर करती
है।
सुबह-सुबह जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती
है।
उसकी खुशियों के सिवा अब “धर्मेन्द्र” कुछ नहीं
सूझता है,
बेटी की चमकती आँखों में मुझे मेरी
दुनिया दिखती है,
सुबह-सुबह जब बिटिया मुझको पापा पापा
कहती है।
चिड़ियों की वो मधुर आवाज़ भी तब फीकी पड़ने
लगती है,
सुबह-सुबह जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती
है।
सुबह-सुबह
जब बिटिया मुझको पापा पापा कहती है!!!!!
By
D.Kumar
1 टिप्पणियाँ
Osum
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