***Beti Shayri***
दिल
करता है मैं भी घर में छोटा होता
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
साथ
में खेलता, साथ में पढ़ता
उसके
साथ ही मैं बड़ा होता।
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
माता-पिता
से करता मेरी वकालत
हर
फैसले में मेरे साथ खड़ा होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
और
होती जिम्मेदारियां उसके कंधो पर
फिर
मैं मन का मौजी होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
तब
घूमता फिरता ऐश भी करता,
उसके
कार्ड स्वाइप मैं करा रहा होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
खुलकर
करता अपने दिल की बात उससे,
और
वो मुझे सही-गलत बता रहा होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
और
अपने कल की चिंता ना करके
मेरा
आज वो संवार रहा होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
चेहरे
पर शिकन आने नहीं देता कभी,
मेरी
सारी मुसीबतों का वो हल होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
जिंदगी
का सफर हँसते-हँसते कट जाता,
अगर
बचपन से बुढ़ापे तक वो संग होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
जब
कभी घिर जाता हूँ मैं चारों ओर से,
आगे
पीछे दायें बायें सब छोर से,
कोई
न आस-पास होता है तभी,
मन
जब उदास होता है कभी,
फिर
दिल कहता है अपना भी एक राम होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता।
दिल
करता है मैं भी घर में छोटा होता,
काश
मेरा भी बड़ा भाई होता,
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