***Beti Shayri*
छोटी है मासूम है अभी नादान है वो,
मेरी गुमनाम ज़िन्दगी की पहचान है वो।
जो खेल खिलाती है मुझे खेलने पड़ते हैं,
उसकी जिद के आगे घुटने टेकने पड़ते हैं,
लगता है जैसे कोई तूफान है वो,
मेरी गुमनाम ज़िन्दगी की पहचान है वो ।
तप्ति हुई धूप में वो शीतल छाया है
उसे मैंने अपनी दुआओं में पाया है,
मुझे मेरे रब से मिला दान है वो,
मेरी गुमनाम ज़िन्दगी की पहचान है वो ।
उसे नहीं मालूम कि वो मेरे लिए क्या है,
मेरे प्यार से अभी, ज़रा अन्जान है वो,
मेरी गुमनाम जिंदगी की पहचान है वो ।
पूरे आसमाँ में वो चाँद सी लगती है,
दिन के उजाले में सूरज सी चमकती है,
मेरी दुनिया मेरा ब्रह्मांड है वो,
मेरी गुमनाम जिंदगी की पहचान है वो ।
मुझसे मेरी मंज़िल की कोई दूरी नहीं रही,
उसे पाया तो कोई ख्वाहिश अधूरी नहीं रही,
सातों जन्म का पूरा अरमान है वो,
मेरी गुमनाम जिंदगी की पहचान है वो ।
उसके लिए सारे ज़माने से बैर भी कर लूंगा,
क्योंकि मेरी बेटी है मेरा अभिमान है वो,
मेरी गुमनाम ज़िंदगी की पहचान है वो ।
वो मुझमें रहेगी, मैं उसका घरौंदा रहूँगा,
मरकर भी मैं उसमें जिंदा रहूँगा,
मेरे बाद भी जो रहेगा वही नाम है वो,
मेरी गुमनाम जिंदगी की पहचान है वो ।
मेरी गुमनाम ज़िन्दगी की पहचान है वो ।
Written by D.Kumar
Love you forever my life
ummmmaa.
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