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उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।

मेरी सुबह है, वो ही मेरी शाम है
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।































मेरा मकसद उसके जीवन में खुशी भरना है,
उसके लिए जीना है उसके लिए ही मरना है,
मेरा भविष्य भी वो, वो ही वर्तमान है, 
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।





























उसके ख्यालों से आज़ाद मैं हो नहीं पाता हूँ,
उससे पल भर भी दूर मैं रह नहीं पाता हूँ,
वो ही मेरी सोच और वो ही ध्यान है,
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।




























मेरे अच्छे कर्म, वो फल है उसका,
मैं जहाँ रहता हूँ वो दिल है उसका,
वो मेरी छत है और वो ही मकान है,
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।





























बेटे से भी बढ़कर मुझे फक्र है उस पर,
मेरी सांसे ठहर जाती हैं जिसके दर्द पर,
मेरा गुरुर है वो मेरा अभिमान है,
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।





























दिन के उजाले में मैंने एक परी पाई थी,
सितंबर के महीने में वो घर मेरे आई थी, 
मेरी फूल सी बेटी है वो मेरी संतान है,
जिसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।






























मेरी सुबह है, वो ही मेरी शाम है,
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।
उसकी एक हंसी पर मेरी ज़िंदगी कुर्बान है।

Written_by_D.Kumar






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